
लातेहार:-गारू प्रखंड के बाड़ेसार में मानस मणि दीप सेवा संस्थान सरना धाम आश्रम में होली महोत्सव के आयोजन बड़ी धूमधाम से संपन्न किया गया। यहां वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है। यहां लोग रंग और पानी की जगह अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं। लेकिन आतिशबाजी करने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है।यहां प्रतिबंध साल 1993 में तब लगाया गया जब संत श्री नागेश्वर स्वामी जी होली के दिन बैरागी जीवन से वापस अपने आश्रम लौटे थे। इससे पहले वेअपने घर-परिवार का त्याग कर वैराग्य जीवन जी रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई वर्षों तक घनघोर जंगलों में कड़ी साधना की। गांव के सत्येंद्र सिंह, सुनीता देवी, विक्टोरिया करकेट्टा समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि एक दिन घनघोर जंगल में गांव के कुछ लोगों ने उन्हें साधना में बैठे देखा। इसकी जानकारी गांव के ग्रामीणों को दी गई।
इसके बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण उनके साधना स्थल पर पहुंचे और उनके साधना से उठने का इंतजार करने लगे। दिन महीनों में बदल गए। एक दिन वह साधना से उठे तब ग्रामीण उनसे आश्रम आने की जिद करने लगे। थक-हार कर वे उनके साथ चलने के लिए तैयार हुए। साज-वाज के साथ ग्रामीण होली के दिन ही उन्हें लेकर आश्रम पहुंचे। भक्तों ने अबीर-गुलाल लगाकर स्वामी जी के चरण स्पर्श किए। तभी से यहां अबीर-गुलाल लगाकर होली खेलने की परंपरा शुरू हो गई। आज स्वामी जी के नहीं रहने के बाद भी आश्रम आने वाले लोग पहले उनके पादुका एवं गुरु माता जी के चरण में अबीर-गुलाल लगाने के बाद ही होली का त्योहार मनाते हैं। यहां आयोजित होने वाले होली महोत्सव में लातेहार जिले के ही नहीं बल्कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।