
- सरकारी रुपये 6 सौ कमीशन 180, मात्र 420 में पैंट, शर्ट ,जूता, मौजा और स्वेटर
- ईमानदारी के पाठ पढ़ाने वालों का यह है 180 रुपये का बंदरबांट
सिमरिया :- अनुमण्डल क्षेत्र के सभी विद्यालयों में शिक्षा विभाग द्वारा प्रत्येक बच्चों को दो पैंट, दो शर्ट, जूता, मौजा के अलावे एक स्वेटर भी दिया जाना है। परंतु कमीशन की बाढ़ में आपूर्ति कर्ता द्वारा सबसे निम्न स्तर यानी घटिया किस्म का पैंट, शर्ट, जूता मौजा, और स्वेटर की आपूर्ति की जा रही है। आखिर क्यों नहीं सरकारी आवंटन प्रत्येक बच्चों पर पोशाक में आने वाला खर्च 600 रुपये दिया गया है। जबकि 180 रुपये कमीशन में चला जाता है अब बचा मात्र 420 रुपये ।आपूर्ति कर्ताओं ने नाम नहीं छापने को लेकर खुलासा करते हुए बताया कि आखिर हम आपूर्तिकर्ता महज 420 रुपये में दो पैंट, दो शर्ट, दो जूता, दो मौजा और एक स्वेटर की आपूर्ति विद्यालयों में करते है। वहीं यदि 20 रुपये आपूर्तिकर्ता को जोड़े तो अब मात्र 400 रुपये बचते है । अब चार सौ रुपये में इन सभी समानो का आपूर्ति होना आप समझ सकते हैं कि कपड़े और जूते स्वेटर की क्या गुणवत्ता हो सकती है। आपूर्तिकर्ताओं के माने तो कमीशन में कौन किसका कितना कमीशन रूपी प्रसाद शामिल है। आपूर्तिकर्ता ने बताया कि सबसे पहले विद्यालय के सचिव को 100 रुपये कमीशन,सीआरपी को 50 रुपये कमीशन,बीआरपी बीईओ अकाउंटेट तीनो मिला कर 30 रुपये की कमीशन रूपी प्रसाद आपूर्तिकर्ताओं को चढावा रूपी प्रसाद भेंट करना पड़ता है तभी उस आपूर्ति कर्ता को बिल पास करते हुए चेक दी जा सकती है। मान ले कि एक विद्यालय में 100 बच्चे हैं तो 100 गुना 100 यानी 10 हजार रुपये विद्यालय सचिव का प्रसाद है। सीआरपी को 100 गुने 50 यानी 5 हजार रुपये ,बीआरपी,बीईओ, अकाउंटेट 100 गुने 30 यानी 3 हजार रुपये प्रसाद रूपी कमीशन का खेल जारी है। वैसे में विद्या की मंदिर कहे जाने वाला विद्यालय में कमीशन रूपी प्रसाद चढाए वगैर कोई काम निःस्वार्थ नहीं होता है । यदि सरकार द्वारा आवंटित 600 रुपये का निष्ठा भाव से पोशाक की आपूर्ति की जाय तो बच्चों का अच्छा और बेहतर पोशाक मुहैया की जा सकती है। इस तरह का कमीशन का खेल से जहां शिक्षा विभाग को शर्मशार किया जा रहा है वहीं पवित्र विद्या के मंदिर को भी अपवित्र किया जा रहा है। आखिर दोषी कौन यह बड़ा सवाल। किसके किसके उपर हो सकती है कार्रवाई ।